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सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में किया कन्या पूजन, शाम को निकलेगी‍ विजय शोभायात्रा

रिपोर्ट:-रविन्द्र चौधरी

गोरखपुर।सीएम और गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत योगी आदित्यनाथ ने रामनवमी के मौके पर शनिवार को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में विधि-विधान के साथ नवदुर्गा की उपासना की। इस मौके पर सीएम ने यहां नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें अपने हाथ से भोजन भी कराया।सीएम, सोमवार को गोरखपुर पहुंचे थे। वह यहां शक्ति मंदिर में नवरात्र पर नाथ परंपरा के साथ होने वाली विशेष पूजा में शामिल हुए। नवरात्र में नौ दिन का व्रत रखने वाले सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में नव दुर्गा स्वरूपा एक से पांच वर्ष की नौ कन्याओं को आमंत्रित किया और पूरे विधि-विधान के साथ उनका पूजन किया। सीएम ने अपने हाथों से उनके पैर धोये और भोजन परोसा।


इसके पहले सुबह उन्‍होंने गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरक्षनाथ एवं अखण्ड ज्योति का दर्शन किया। सीएम योग ने माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की। इसके बाद हवन-पूजन किया। हवन के बाद सीएम ने कन्या पूजन किया। इसमें 35 से ज्यादा कन्याएं और 20 बटुक भैरव शामिल रहे। सीएम ने कन्या पूजन के बाद कन्याओं और बटुकों को भोजन परोसा। इसके बाद दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया। सीएम हर साल नवरात्र में नौ दिन का व्रत रहने के अलावा गोरखनाथ मंदिर ये अनुष्‍ठान करते हैं। शारदीय और वासंतिक नवरात्र में गोरखनाथ मंदिर में विशेष पूजा होती है।

आपको बता दे कि नाथ संप्रदाय की पीठ श्रीगोरखनाथ मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विजयादशमी के दिन न्यायिक दण्डाधिकारी की भूमिका में दिखेंगे। विजयादशमी की रात होने वाली पात्र पूजा में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के संतो की अदालत में संतो के मध्य के विवाद सुलझाएंगे। इसके पूर्व पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित कर नाथ योगी एवं संत उनका पूजन करेंगे। नाथ संप्रदाय में पात्र पूजन की परम्परा पौराणिक है। यह परम्परा आंतरिक अनुशासन बनाए रखने का एक अहम जरिया है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी पीठ के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निष्ठा से निवर्हन करते हैं।इसी परम्परा के अंतर्गत विजयादशमी के दिन ही श्री गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी साधु-संत और पुजारी मिल कर मुख्य मंदिर में उनकी पात्र पूजा कर दक्षिणा अर्पित करते हैं। इस पूजा में सिर्फ उन्हें ही प्रवेश मिलता है जिन्होंने नाथ संप्रदाय के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की हो। उन्हें यहां अपने संप्रदाय एवं दीक्षा देने वाले गुरु की घोषणा करनी होती है। इस परम्परागत कार्यक्रम में शामिल होने के बाद ही मंदिर का महंत मंदिर परिसर से बाहर जाते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता दक्षिणा स्वीकार करते हैं लेकिन अगले दिन दक्षिणा साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है।

नाथ संप्रदाय के सभी संत जिनके खिलाफ कोई शिकायत रहती है, पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर उनकी सुनवाई करते हैं। प्रतिष्ठा है कि पात्र देवता के समक्ष कोई झूठ नहीं बोलता है। यदि वह उनके समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर लेता है, या फिर नाथ परम्परा के विरुद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त मिलता है, पात्र देवता सजा एवं माफी का निर्णय लेते हैं। इस प्रक्रिया को दूसरे संप्रदाय के मठों में चिलम साफी के रूप में प्रतिष्ठा मिली है लेकिन गोरक्षपीठ में हुक्का और ध्रुमपान की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि दूसरे साधू संत भी गोरक्षपीठ में प्रवास के दौरान ध्रुमपान, हुक्का और चिलम के इस्तेमाल से परहेज रखते हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को कन्या, बटुक भैरव पूजन और कन्याओं को भोज कराने के बाद नौ दिन के व्रत का पारण करेंगे। उसके बाद अपराह्न विजयदशमी विजय शोभायात्रा में शामिल होंगे। मानसरोवर मंदिर में देव विग्रहों के पूजन और अभिषेक के बाद मानसरोवर रामलीला के मंच में राजा रामचंद्र के राजतिलक समारोह में शामिल होकर श्रद्धालुओं को संबोधित करेंगे।

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