आरएसएस के निशाने पर विदेशी कंपियां,अमेज़न और फ़्लिपकार्ट जैसी कंपनियों का लाइसेंस रद्द करने की मांग कर दी ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने केन्द्र सरकार से ई-कॉमर्स कंपनियों- अमेज़न और फ़्लिपकार्ट से देश में कारोबार की अनुमति को तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है।
आरएसएस की यह मांग कथित भ्रष्ट प्रथाओं और भारत में ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए अमेज़न पर हमला करने के कई महीने बाद सामने आई है।
आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच एसजेएम का दवा है कि यह कंपनियां नियमों का खुलकर उल्लंघन कर रही हैं।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में अमेज़न, फ़्लिपकार्ट, वॉलमॉर्ट और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के परिचालन की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की गई है। उसका कहना है कि ये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) मानकों का खुला उल्लंघन कर कारोबार कर रही हैं।
मंच के ग्वालियर में संपन्न 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्ताव के मुताबिक, बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई पर कई पाबंदियां लगी हुई हैं और विदेशी कंपनियां यहां पर इन्वेंट्री-आधारित मॉडल पर कारोबार नहीं कर सकती हैं, इसके अलावा उन पर क़ीमतों में बहुत ज़्यादा कमी करने की भी रोक है, लेकिन अमेज़न और फ़्लिपकार्ट इन प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर रही हैं।
स्वदेशी जागरण मंच ने दावा किया कि अमेज़न अपने ई-कॉमर्स कारोबार के साथ ही परंपरागत खुदरा कारोबार में भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। उसके मुताबिक ‘शॉपर्स स्टॉप’ और ‘मोर’ रिटेल शृंखलाओं में अमेजॉन का निवेश इसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है। आरएसएस से जुड़े संगठन ने कहा कि अमेज़न ने सिर्फ़ तीन साल में कानूनी एवं पेशेवर शुल्क पर 9,788 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। (AK)